जनजातियों में सिकल सेल की पीड़ा समझा रही है सारिका

कलेक्‍टर सुश्री सोनिया मीना के मार्गदर्शन में सारिका का  सिकलसेल जागरूकता कार्यक्रम

नर्मदापुरम। विश्व सिकलसेल दिवस के अवसर पर आमलोगों में इस रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू इस रोग के फैलाव को रोकने के बारे में बता रही हैं।  कलेक्‍टर सुश्री सोनिया मीना के मार्गदर्शन में ये जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे हैं । सारिका ने बताया कि एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे अधिक सिकल सेल से प्रभावित आबादी मध्यप्रदेश में है।

      यह सामान्य एनिमिया नहीं है जिसे आयरन देकर ठीक किया जा सके, यह जीवन भर चलने वाला जन्मजात रोग है। अतः इसका फैलाव रोकने के लिये विवाह के पूर्व सिकलसेल कुंडली मिलाना जरूरी है।

 क्यों मनाया जाता है विश्व सिकलसेल दिवस

      सारिका ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसम्बर 2008 को एक प्रस्ताव को अपनाया जिसमें सिकलसेल रोग को दुनिया की सबसे प्रमुख अनुवांशिक बीमारी में से एक के रूप में मान्यता दी। इसके बाद 19 जून 2009 से हर साल यह दिन विश्व सिकलसेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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