सभी किसान संगठन नई उर्वरक एनपीके का उपयोग करने कि किसानों को समझाइए दे – सांसद श्री चौधरी

किसान छोटे तालाब बनाकर पौधारोपण प्राथमिकता से करें

नर्मदापुरम/13,जून,2024/  सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने जिले के किसान संगठन के पदाधिकारी से कहा कि वह नई उर्वरक एनपीके को बढ़ावा देने के लिए, एनपीके की उपयोगिता की समझाइए किसानों तक पहुंचाएं। किसानों को एनपीके की जानकारी दे। श्री चौधरी ने कहा कि इस वर्ष डीएपी मिलने में दिक्कत होगी तो सभी किसान डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके का उपयोग अपने खेतों में करें। श्री चौधरी ने किसान संगठनों से कहा कि वह स्वयं और खुद आगे आकर किसानों को छोटे तालाबों का महत्व समझा कर छोटे-छोटे तालाब बनाएं, छोटे तालाब  जल स्रोत के बहुत बड़े वाहक होते हैं। उन्होंने कहा कि पौधारोपण को भी बढ़ावा दिया जाए। जगह-जगह तालाब के किनारे, मेढ़ में एवं अन्य जगहों पर अनिवार्य रूप से पौधारोपण किया जाए। सांसद ने कहा कि सभी किसान अपनी क्षमता अनुसार 2 से ढाई एकड़ के खेत में जैविक खेती करें। खेतों में कीटनाशकों का प्रयोग बिल्कुल ना करें। साथ ही नरवाई भी ना जलाएं। प्राकृतिक खेती समय की आवश्यकता है इसलिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें। सभी किसान संकल्प लें कि वे जैविक खेती करके पौधारोपण को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा कि हमारा जिला मूंग के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यह प्रसिद्धी बरकरार रहनी चाहिए। सभी के सहयोग से खेती किसानी में जो भी छोटी-मोटी समस्याएं आती हैं उसका हम मिल बैठकर निराकरण करेंगे। उन्होंने कहा कि हम सब एक परिवार की तरह हैं और हमारा जिला आदर्श खेती के लिए भी प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि किसान कीटनाशक का ज्यादा प्रयोग ना करें।

उल्लेखनीय है कि आज कलेक्टर सोनिया मीना की अध्यक्षता में डीएपी की जगह एनपीके को बढ़ावा देने के लिए किसान संगठनों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर ने बताया कि किसान डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके का उपयोग करें, उन्होंने सभी किसान संगठनों से कहा कि वह इस उर्वरक की जानकारी सभी को किसानों को दे। इस बात की जानकारी सभी किसानों तक पहुंचाएं।

कलेक्टर ने कहा कि जब भी हम कुछ नया प्रयोग करते हैं तो कुछ परेशानी होती है लेकिन एनपीके पूरी तरह परखा हुआ उर्वरक है। कलेक्टर ने कहा कि किसान मानसिक रूप से तैयार रहे उन्हें एनपीके से कोई भी परेशान नहीं होगी। उन्होंने कहा कि एनपीके का प्रयोग करने के लिए टेक्निकल रूप से किसान आगे आए।

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