बैतूल। स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई जिला चिकित्सालय में सोमवार को राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह प्रारंभ किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.रविकांत उइके ने बताया कि नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जिले में 25 नवंबर से 30 नवम्बर 2024 तक नवजात शिशु सप्ताह का आयोजन होगा। नवजात शिशु सप्ताह के दौरान नवजात शिशु की संस्था एवं समुदाय में गुणवत्तापूर्ण देखभाल के साथ-साथ विकासात्मक स्वास्थ्य सेवाऐं प्रदाय किये जाना मुख्य उद्देश्य है। सप्ताह के दौरान आशा के माध्यम से धात्री माताएं, नवजात शिशु के घर भेंट देकर माताओं को स्तनपान, टीकाकरण, साफ सफाई, खतरे के आम चिन्ह, कंगारू मदर केयर, एसएनसीयू से डिस्चार्ज, समस्त शिशु को गृह आधारित भेंट देना एवं संस्थागत फॉलोअप हेतु अभिभावक को प्रेरित किया जायेगा।
शुभारंभ कार्यक्रम में डॉ.आशीष ठाकुर शिशु रोग चिकित्सक एसएनसीयू द्वारा धात्री माताओं को जानकारी देते हुये बताया कि जन्म के समय बच्चे का वजन 2 किलो से कम है या बच्चा कम दिनों में पैदा हुआ है तो उसे कटोरी एवं चम्मच से दूध पिलायें, बच्चों को सीधे आंचल से दूध पिलाने से उसे ताकत लगाना पड़ता है, 2 किलो से ऊपर के बच्चे को आंचल से लगाकर दूध पिलाए, दूध पिलाने के बाद बच्चे को अच्छे से डकार दिलाए, गर्म रखने के लिए पूरी तरह से कपड़े पहनाऐं, बच्चों को ज्यादा न नहलाऐं, उसे ठंड से बचाऐं, बच्चे के कान में तेल न डालें इससे इंफेक्शन हो सकता है, छः माह तक केवल स्तनपान कराऐं। श्री कमलेश मसीह डीसीएम द्वारा बताया कि ठंड के दिनों में बच्चों की ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है, बच्चे ठंडे पड़ जाते हैं, बच्चों को माता की त्वचा से स्पर्श कराकर रखें, पूरी तरह कपड़े पहनाकर रखें, रात को सोते समय बच्चों का पूरा ध्यान रखें। सुश्री रेजीना जेम्स जिला सीपीएचसी सलाहकार द्वारा बताया गया कि जन्म के समय बच्चों की नाल पर कुछ नहीं लगाएं उसे साफ एवं सूखा रखें।
शुभारंभ कार्यक्रम में उप जिला मीडिया अधिकारी महेशराम गुबरेले, एसएनसीयू स्टाफ, जिला चिकित्सालय स्टाफ एवं धात्री माताएं उपस्थित थी।