हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधी तंत्र भी रक्तदान से मजबूत होता
नर्मदापुरम। रक्तदान को दुनिया में सबसे बड़ा दान माना गया है क्योंकि रक्तदान ही है, जो किसी जरूरतमंद का जीवन बचाता है साथ ही जिंदगी बचाकर उस परिवार के जीवन में खुशियों के कई रंग भी भरता है। आप सोचिए कि कोई व्यक्ति रक्त के अभाव में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है और आप उसकी उम्मीद की किरण बनकर सामने आते हैं और आपके द्वारा किए गए रक्तदान से उसकी जिंदगी बच जाती है तो आपको कितनी खुशी होगी। विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर ब्लड हेल्पलाइन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष एवं विधायक प्रतिनिधि स्वास्थ विभाग जिला चिकित्सालय श्री गजेन्द्र चौहान ने बताया कि पहले चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित नहीं था और किसी को पता ही नहीं था कि एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाकर किसी रोगी मरीज का जीवन बचाया जा सकता है। उस समय रक्त की कमी से असमय होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा था किन्तु अब स्थिति बिल्कुल अलग है। जीवनदायी रक्त की महत्ता के मद्देनजर लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए जागरूक करने का उद्देश्य से 14 जून 1868 को जन्मे “कार्ल लैंडस्टीनर” के जन्मदिवस पर 14 जून 2004 को रक्तदाता दिवस की शुरूआत की गई थी और तब पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस द्वारा रक्तदाता दिवस’ मनाया गया था, तभी से यह दिन रक्तदान के नाम कर दिया गया। यह दिन “धन्यवाद रक्तदाता” थीम के साथ मनाया जा रहा है। विश्व रक्तदाता दिवस की शुरूआत का उद्देश्य यही था कि चूंकि दुनियाभर में लाखों लोग समय पर रक्त न मिल पाने के कारण मौत के मुंह में समा जाते हैं, अतः लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक किया जाए। रक्तदान के महत्व को लेकर किए जाते रहे प्रचार-प्रसार के बावजूद आज भी बहुत से लोगों के दिलोदिमाग में रक्तदान को लेकर कुछ गलत धारणाएं विद्यमान हैं, जैसे शरीर में कमजोरी आती है, बीमारियां शरीर को जकड़ सकती हैं या एचआईवी जैसी बीमारी हो सकती है। इस तरह की भ्रांतियों को लेकर लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जाते रहे हैं। रक्तदान करने से शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता बल्कि रक्तदान से तो शरीर को कई फायदे ही होते हैं। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा रक्त लेते समय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक तरीके अपनाए जाते हैं, इसलिए कोई खतरा नहीं होता। 18 साल से अधिक उम्र का शारीरिक रूप से स्वस्थ कम से कम 45 किलो से अधिक वजन का कोई भी व्यस्क स्वेच्छा से कम से कम तीन माह के अंतराल पर साल में 3-4 बार रक्तदान कर सकता है। कुछ लोगों को रक्तदान के समय हल्की कमजोरी का अहसास हो सकता है किन्तु यह चंद घंटों के लिए अस्थायी ही होता है। रक्तदान के लिए प्रेरित करने और उसके फायदे समझाने के लिए व्यापक स्तर पर जन-जागरण अभियान चलाया जा रहा है। रक्तदान करने से रक्तदाता को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता बल्कि अपने रक्त से एक अनमोल जीवन बचाकर जो आत्मिक संतुष्टि मिलती है, वह अनमोल है, साथ ही हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधी तंत्र भी रक्तदान से मजबूत होता है।