जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में हुआ निर्णय
नर्मदापुरम। ग्रीष्मकालीन मूंग फसलों की सिंचाई हेतु कमांड क्षेत्र अंतर्गत नर्मदा पुरम के 43, 610 हेक्टेयर क्षेत्र में नहरों से सिंचाई होना है। तवा नहर से 30 अप्रैल को पानी छोड़ा जाएगा। तवा बांई तट मुख्य नहर से लगातार 60 दिन तक एवं तवा दाई तट मुख्य नहर से 48 दिवस तक पानी दिया जाएगा। जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में सर्वसम्मति से उक्त निर्णय हुआ।
जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक कलेक्टर सोनिया मीना की अध्यक्षता में गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई। बैठक में सिवनी मालवा विधायक प्रेम शंकर वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती राधाबाई, जनप्रतिनिधि पीयूष शर्मा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सोजान सिंह रावत, अपर कलेक्टर देवेंद्र सिंह, जल संसाधन विभाग के अधिकारीगण, किसान प्रतिनिधि मौजूद थे।
बताया गया कि वर्तमान में जल भराव का प्रतिशत 51 है। तवा जलाशय में 997 एमसीएम पानी है, जो गत वर्ष की तुलना में डेढ़ एमसीएम ज्यादा है। कलेक्टर ने अवगत कराया की नहर में मरम्मत की आवश्यकता है। नहर में कही – कही सिपेज हो रहा है। मरम्मत के लिए टेंडर भी लगाया गया है। वर्तमान में विभागीय स्तर पर मरम्मत का कार्य भी चल रहा है। 30 अप्रैल से पहले नहरे दुरुस्त हो जाएंगी।
विधायक श्री प्रेम शंकर वर्मा ने कहा कि नहर के द्वारा जब पानी छोड़ा जाता है तो पानी खेतों के अलावा अन्यत्र भी चला जाता है। जहां पानी की आवश्यकता नहीं है वहां भी चला जाता है। इससे पानी की बर्बादी भी होती है इसे रोकने की आवश्यकता है। जल संसाधन विभाग के ई ने बताया कि इस बार विसोनी कला एवं म्याऊं गांव तक पानी के लिए नहर को बढ़ाया गया है। स्टाफ की कमी होने के चलते अभी माइनर नहीं बढ़ाया है।
बैठक में गेहूं उपार्जन 2024 की भी समीक्षा की गई।
बैठक में गेहूं उपार्जन 2024 की भी समीक्षा की गई। बताया गया कि समिति स्तर पर खरीदी केंद्र बनाने के निर्देश शासन से प्राप्त हुए हैं। गोदाम में छन्ना विशेष तौर पर लगाए जाएंगे क्योंकि गत वर्ष खराब स्कंध आने से परेशानी हुई थी। 18 मार्च से नर्मदापुरम के कुछ खरीदी केंद्र प्रारंभ किए जाएंगे। एफसीआई की ओर से शासन को प्रस्ताव दिया गया है जिले में कुल चार रैक पॉइंट है। उपार्जन अवधि में 80 रैक जिले में आएंगे लगभग 2 लाख एमटी यूरिया आना है। बरखेड़ी में स्टील सायलो बनाया गया है जहां 45000 मीट्रिक टन स्कंध का भंडारण हो सकता है। इसके अलावा शासकीय गोदाम सीडब्लूएस व एसडब्लूसी में भी एक लाख मैट्रिक टन की भंडारण की क्षमता है। इस वर्ष 1 लाख 85 हजार हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई है जो गत वर्ष की तुलना में 8000 से 9000 हेक्टेयर कम है, क्योंकि किसानों ने गेहूं के अलावा चने की फसल भी बोई है। इस वर्ष 6 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की संभावना है।
बताया गया कि इस वर्ष सभी गोदाम की जांच हो रही है जिन निजी गोदाम में पूर्व से ही गेहूं के स्कंध हैं उस गोदाम को इस वर्ष भंडारण केंद्र नहीं बनाया जाएगा। स्लॉट बुकिंग कल से शुरू हो जाएगी। दो उपार्जन केन्द्रों पर चार सदस्य टीम रहेगी जो स्कंध की गुणवत्ता की जांच करेगी। कलेक्टर ने बताया कि जिले में स्कंध भंडारण की क्षमता बहुत अधिक है।
बैठक में चना उपार्जन की भी समीक्षा हुई बताया गया कि चना उपार्जन में 20 हजार 303 पंजीयन इस वर्ष हुआ है। वही चना का रकबा 7000 हेक्टेयर बढा है। इस वर्ष 25 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं ।