भोपाल। जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी, भोपाल संस्कृति विभाग के द्वारा सांस्कृतिक परंपरा में साधु और सन्यासी विषय पर शोध संगोष्ठी आयोजित की गयी। रविंद्र भवन सभागार में आयोजित व्याख्यान में वरिष्ठ साहित्यकार एवं शास. नर्मदा महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतवर्ष तीर्थों, पर्वों और धार्मिक आस्थाओं का देश है। इनके बिना हमारी संस्कृति की परिकल्पना अधूरी है। हमारे देश के कोने-कोने में फैले मठ-मन्दिर और उनमें रहकर आध्यात्मिक दार्शनिक साधनाएं कर भारतीय संस्कृति की ज्योति को सुरक्षित रखने वाले लाखों साधु-संन्यासी सांस्कृतिक जीवन के शक्तिपुंज हैं, प्रहरी हैं। संगोष्ठी में अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मेंद्र पारे ने समृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।
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