नैतिक शिक्षा आज की पहली आवश्यकता : डॉ. एल. एल दुबे

नर्मदापुरम। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर शासन के निर्देशानुसार शासकीय नर्मदा महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया गया । जिसमें इंदौर से मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाया गया । इसके अतिरिक्त महाविद्यालय स्तर पर भी वरिष्ठ विद्वानों की व्याख्यानमाला आयोजित की गयी । कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य अतिथि पंडित भवानी शंकर शर्मा, अध्यक्ष डॉ. एल एल दुबे, प्राचार्य डॉ. ओ एन चौबे एवं अन्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके पश्चात प्राचार्य ने स्वागत उद्बोधन में छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ते हुए गुरु के महत्व को रेखांकित किया उन्होंने भारतीय महर्षियों कणाद एवम आचार्य सुश्रुत का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान की समृद्ध परंपरा की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया । संयोजक डाॅ. के. जी. मिश्र ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए ज्ञान परंपरा के विस्तार का वर्णन किया और ज्ञान के स्रोत की व्यापकता दर्शाते हुए चाणक्य और चंद्रगुप्त की कथा के माध्यम से प्रत्येक मानव में विराजित गुरु स्वरूप की ओर छात्रों का ध्यान आकर्षित किया । उन्होंने भारतीय परंपरा में गुरु शिष्य संबंधों की महत्ता पर भी चर्चा की । कार्यक्रम की रूपरेखा स्पष्ट होने के बाद अतिथियों के व्याख्यान का क्रम प्रारंभ हुआ जिसमें सर्वप्रथम मुख्य अतिथि डॉ. एल.एल दुबे ने छात्रों को संबोधित करते हुए नैतिक शिक्षा और वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उसकी भूमिका रेखांकित की । उन्होंने गुरु के महत्व को बताते हुए उनसे प्राप्त नैतिक मूल्यों को समाज की विशेष आवश्यकता के रूप में व्याख्यायित किया । मुख्य अतिथि पंडित भवानी शंकर शर्मा ने भी विद्यार्थियों से संवाद करते हुए अपने व्याख्यान में गुरु पूर्णिमा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को दर्शाया एवं ‘श्रद्धावान लभते ज्ञानम्’ के सूत्र के माध्यम से छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचित कराया । कार्यक्रम में डॉ. अमिता जोशी, डॉ. एस सी हर्णे, डाॅ. संजय चौधरी, डॉ. कमल चौबे डॉ. कमल वाधवा, डॉ. वी एस आर्य, डॉ. आर एस बोहरे, डॉ. सविता गुप्ता आदि प्राध्यापकों, अतिथि विद्वानों कार्यालयीन कर्मचारियों सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे । मंच संचालन डॉ. दिनेश श्रीवास्तव एवं आभार प्रदर्शन डॉ. हंसा व्यास ने किया ।

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