सड़क हादसे में घायल युवक के लिए फरिश्ता बने चौहान
इटारसी। मानवता का परिचय देते हुए एक पत्रकार ने सडक दुर्घटना में घायल एक शख्स की जान बचाई। उन्होंने किसी बात की परवाह किए बगैर दुर्घटना से अचेत अवस्था में पड़े गंभीर रुप से खून में लथपथ युवक को राहगीरों की मदद से अपनी बाइक पर बिठाया और उसे तत्काल सरकारी अस्पताल डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी में पहुंचाया ,यहां उसका प्रथम उपचार कराने तक मौजूद भी रहे । दुर्घटना राज टॉकीज के पास नया यार्ड रोड़ पर दरगाह के सामने हुई थी और घायल युवक रुपेश बानखेडे मेहरागांव निवासी बताया जा रहा है ।
घटना के वक्त अधिवक्ता आशीष मालवीय निवासी मालवीयगंज उनके साथ थे और एक कार्यक्रम से लौट रहे थे। अधिवक्ता आशीष मालवीय ने बताया कि जिस वक्त युवक हमें सडक पर घायल अवस्था में दिखा उस समय रात के 9.50 के बज रहे थे।
जैसे ही युवक पर बसंत चौहान की नजर पडी उन्होंने तत्काल बाइक रोककर युवक को देखा और मुझे 108 एम्बुलेंस को फोन करने को कहा, उन्होंने ऑटो भी रोकने की कोशिश की लेकिन कोई रुका नहीं। इस दौरान भीड बहुत लग गई थी, 108 एम्बुलेंस का नम्बर लग नहीं रहा था। युवक के सिर से खून बहुत बह रहा था तो बसंत भाई ने अपना सफेद गमछे से युवक के सिर को बांधा और युवक की गंभीर स्थिति देखकर उसे बाइक से ही अस्पताल लेकर पहुंच गए,जिससे युवक की जान बच सके। राहगीरों की मदद से घायल युवक को बाइक पर बिठाकर एक युवक को पीछे पकडने के लिए जबरदस्ती चौहान ने उसे चिल्लाकर बिठाया, कहा, मैं तुझे कोई समस्या नहीं आने दूंगा, तब युवक घायल को पकडकर बैठा।
अस्पताल में युवक के ट्रीटमेंट के लिए डॉ भट्ट से चर्चा करते हुए तत्काल टांके लगवाएं जिसके बाद युवक के दोस्त की मदद से उसके परिजनों को खबर की।
श्री मालवीय ने कहा कि यह पूरी आंखों देखी घटना यहां बताने का सिर्फ और सिर्फ उददेश्य यह है कि इस तरह की दुर्घटनाएं यदि आपके सामने हों तो बिना डरें घायलों की जान बचाएं, न की डरकर भाग जाएं, या यह सोचें की कोई ओर उन्हें अस्पताल ले जाएगा।
इस घटना के दौरान भी यही हुआ, लोग युवक को बसंत भाई की बाइक पर बिठाने तक के लिए तैयार नहीं हो रहे थे, शायद उन्हें डर था कि पुलिस केस न हो जाए, या उनके हाथ, कपडे खून से न खराब हो जाएं। जबकि इसके उलट मैंने देखा कि बसंत भाई की पीठ पूरी खून से भीड गई थी,क्योंकि युवक का सिर उन्हें अपनी पीठ से टिकाया हुआ था। मैंने जब बसंत भाई से कहा कि तुम्हारी पूरी पीठ खून सेे भिड़ गई हैं तो वह मुस्कुराते हुए बोले, किसी की जान बच गई यह जरूरी है, कपडे तो नए खरीद लेंगे, लेकिन अपनेे सामने किसी के घर का बेटा मर जाता तो भगवान को क्या मुंह दिखाते।