निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से संपन्न कराया जाएगा लोकसभा निर्वाचन – कलेक्टर सोनिया मीना

पेड न्यूज की बारीकियां के बारे में मीडिया प्रतिनिधियों को दी गई आवश्यक जानकारी

नर्मदापुरम । आगामी लोकसभा निर्वाचन के संबंध में बुधवार को कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सोनिया मीना की अध्यक्षता में मीडिया प्रतिनिधियों की पेड न्यूज के संबंध में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें नेशनल लेवल मास्टर ट्रेनर पंकज दुबे द्वारा पेड न्यूज संबंधी बारीकियों के बारे में विस्तार से मीडिया प्रतिनिधियों को जानकारी दी गई एवं उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।

      कलेक्टर सुश्री मीना ने कहा है कि संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को पारदर्शी एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मीडिया निर्वाचन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। समस्त मीडिया प्रतिनिधि फेक न्यूज़ के संबंध में जागरूक रहे। सही पक्ष को लोगों तक पहुंचने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है। कलेक्टर कार्यालय में स्थित मॉनिटरिंग सेल संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान पेड न्यूज की निगरानी के लिए सतत रूप से 24 घंटे कार्यरत है। उन्होंने कहा किसी भी प्रकार के विज्ञापन का पूर्व प्रमाणन प्राप्त करना आवश्यक है। बिना अनुमति के ऐसे विज्ञापनों के संबंध में अभ्यर्थी को नोटिस प्रदान किया जाएगा। निर्धारित समय के भीतर अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त उत्तर संतोषजनक होने पर पेट न्यूज़ का प्रकरण निराकृत माना जाएगा अन्यथा उत्तर असंतोषजनक पाए जाने पर तथा जांच करने पर सही पाए जाने पर पेड न्यूज़ का खर्च अभ्यर्थी के व्यय लेखा में जोड़ा जाएगा।

      नेशनल लेवल मास्टर ट्रेनर श्री दुबे ने बताया कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी भी मीडिया में नकद या किसी अन्य कीमत पर प्रतिफल के रूप में प्रदर्शित होने वाली कोई भी खबर या विश्लेषण पेड न्यूज है। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रेस परिषद द्वारा दी गई पेड न्यूज की परिभाषा को भारत निर्वाचन आयोग ने स्वीकार किया और माना कि ‘पेड न्यूज’ चुनाव में समान अवसर को बिगाड़ती है। प्रतिकूल प्रभाव डालती है, चुनाव व्यय कानूनों का उल्लंघन करती है। मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव डालती है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में बाधा उत्पन्न करती है ।

      पेड न्यूज जनता को गुमराह करती है। लोगों की सही राय बनाने की क्षमता को बाधित करती है। इससे मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव पड़ता है और इसे उनके सूचना के अधिकार के उल्लंघन के रूप में भी देखा जाता है। पेड न्यूज सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए समान अवसर को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है। आयोग को चुनावी प्रक्रिया के दौरान जमीनी स्तर पर पेड न्यूज की समस्या का अनुभव हुआ है। राजनीतिक दलों और मीडिया समूहों ने भी संपर्क कर आयोग से पेड न्यूज के खिलाफ कड़े कदम उठाने का अनुरोध किया। अपनी सतर्कता को मजबूत करने के लिए आयोग ने पेड न्यूज और अन्य उल्लंघनों के लिए मीडिया की निगरानी के लिए जिला स्तर और राज्य स्तर पर एक मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (MCMC) की स्थापना की है। जिसमें रिटर्निंग ऑफिसर, सहायक रिटर्निंग ऑफिसर, सोशल मीडिया एक्सपर्ट, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अधिकारी, पत्रकार या स्वतंत्र नागरिक तथा डीपीआरओ/ डी ई ओ/ या समकक्ष कोई अधिकारी समिति के सदस्य होते हैं।

    श्री दुबे ने पेड न्यूज/विज्ञापन एवं समाचार के बीच में अंतर बताते हुए बताया कि विज्ञापन में डिस्क्लेमर्स होंगे, क्रेडिट लाइन नहीं होती, डिफरेंट फ़ॉन्ट्स, बढ़ावा देने के लिए होते हैं। समाचार में डिस्क्लेमर नहीं होते, डिफरेंट फोंट्स में क्रेडिट लाइन होती है, सामान्यतः टाइपफेस फ़ोन होते है, समाचार सामान्यतः: सूचना देने के लिए होते है।

पेड न्यूज के संबंध में मीडिया प्रतिनिधि लिया जरूरी निर्देश

      नेशनल लेवल मास्टर ट्रेनर पंकज दुबे ने बताया कि  निर्वाचन के संबंध में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया ने मीडिया प्रतिनिधि के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिसके अनुसार चुनाव एवं अभ्यर्थियों के बारे में वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट मीडिया प्रतिनिधियों को प्रचार में शामिल न होना, अतिरंजित रिपोर्टिंग न करना, धर्म, जाति, सम्प्रदाय के आधार पर विभेद पैदा करने वाली रिपोर्टर्स से बचना, किसी अभ्यर्थी के व्यक्तिगत जीवन, चरित्र के बारे में मिथ्या बयानों को न छापना। असत्यापित आरोपों को न छापना वित्तीय या अन्य प्रलोभनों को स्वीकार न करना,किसी दल / अभ्यर्थी का आतिथ्य या अन्य सुविधाओं को न स्वीकारना, किसी दल/अभ्यर्थी की उपलब्धियों के प्रचार हेतु सार्वजनिक धन से कीमत चुकाए जाने वाले विज्ञापनों को न छापना तथा भारत निर्वाचन आयोग, मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा जिला निर्वाचन अधिकारी के सभी निर्देशों का पालन करना हैं।

      इसी प्रकार इलेक्शन रिपोर्टिंग में संतुलित और निष्पक्ष आचरण के लिए वस्तुनिष्ठ तरीके से दलों, अभ्यर्थियों, प्रचार, मतदान प्रक्रिया आदि के बारे में आम जनता तक सूचनाएं पहुंचाना। अफवाहों, तथ्यहीन अनुमानों के प्रसारण से बचने का प्रयास करें विशेषतः तब जब ये किसी दल या अभ्यर्थी से सम्बंधित है। सभी वित्तीय और राजनैतिक दवाब से दूर रहना। गलत सूचना प्रसारित हो जाने पर संज्ञान में आने पर तत्काल प्रमुखता से सुधार कर सही सूचना का प्रसारण करना। हेट स्पीच और आपत्तिजनक कंटेंट के प्रसारण से बचना। ओपिनियन पोल की वास्तविक और निष्पक्ष रिपोर्ट का प्रसारण करना और सोर्स जाहिर करना। किसी दल / अभ्यर्थी का आतिथ्य या अन्य सुविधाओं को न स्वीकारना आदि बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी हैं।

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