बैतूल।जलवायु परिवर्तन, अनियमित वर्षा एवं जल स्रोतों की उपेक्षा के कारण जल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। इसी समस्या को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाकर हर गांव तक पहुंचाना है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए बैतूल जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यरत 6500 सामुदायिक संसाधन व्यक्ति सीआरपीएस को जलदूत के रूप में प्रशिक्षित कर गांव-गांव में जल संरक्षण के संदेशवाहक के रूप में तैनात किया गया, जो गांव-गांव में जलदूत बनकर जल है तो कल है के संदेश को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। उनका सक्रिय योगदान ही इस अभियान की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इन जलदूतों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समुदाय को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाना, परपंरागत जल स्त्रोतों का पुनरुद्धार करना, वर्षा जल का संचयन एवं उपयोग सुनिश्चित करना, जल संसाधनों का समुचित प्रबंधन, सामुहिक जनभागीदारी से जल आधारित आजीविका को सशक्त बनाना। जिले के सभी विकासखंडों में एनआरएलएम के अंतर्गत कार्यरत 6500+ सीआरपीएस को जल संरक्षण विषय पर आजीविका मिशन टीम द्वारा समूह संगठनों के नियमित बैठकों के माध्यम से विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
समुदाय की जागरूकता से पर्यावरणीय समस्याओं का होगा समाधान-
बैतूल जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत सीआरपीएस द्वारा जलदूत के रूप में किए गए प्रयासों से यह प्रमाणित होता है कि जब समुदाय जागरूक होता है और नेतृत्व जिम्मेदारी लेता है, तो पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान सामूहिक रूप से किया जा सकता है। इस अभियान से जल संरक्षण की दिशा में एक स्थायी बदलाव की नींव रखी गई है। यद्यपि अभियान अभी प्रगति में है, लेकिन समूह सीआरपीएस जलदूत की भूमिका में एक सशक्त सामाजिक उत्प्रेरक के रूप में उभरे हैं। इनकी मेहनत और गांव स्तर की सक्रियता जल संरक्षण को जनांदोलन बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध हो रही है। जलदूतों की यह यात्रा केवल एक अभियान नहीं, बल्कि समाज के भविष्य की रक्षा का संकल्प बन चुकी है।

