बैतूल । जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति संबंधी समस्या के समाधान तथा नगर में अवैध अतिक्रमण को हटाने के उद्देश्य से सोमवार को कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी के साथ विधायकगणों की एक महत्वपूर्ण बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई। बैठक के दौरान कलेक्टर श्री सूर्यवंशी ने जानकारी दी कि जिले में कुल 96 ऐसे स्थान चिन्हित किए गए हैं, जहां पेयजल की गंभीर समस्या है। इन स्थानों पर शीघ्र ही बोरिंग कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बोरिंग कार्यों को विभागीय, सांसद एवं विधायक निधि के माध्यम से कराया जाएगा, ताकि त्वरित समाधान हो सके। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जहां बोरिंग पर प्रतिबंध है उन क्षेत्रों के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा, जिससे प्रतिबंध हटाकर राहत पहुंचाई जा सके।
विधायकों ने भी रखे सुझाव
बैठक में बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल, आमला विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे, भैंसदेही विधायक महेंद्र सिंह चौहान, मुलताई विधायक चंद्रशेखर देशमुख, घोड़ाडोंगरी विधायक श्रीमती गंगाबाई उईके ने समस्या ग्रस्त क्षेत्रों में पेयजल समस्या के निराकरण के लिए अधिकारियों से चर्चा की और अपने सुझाव दिए।
नल-जल योजनाओं के अधूरे काम होंगे पूरे
बैठक में कलेक्टर ने नल-जल योजना के अंतर्गत अधूरे कार्यों को शीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए। उन्होंने कहा कि जहां नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हैं, वहां संबंधित ठेकेदारों के माध्यम से कार्य शीघ्र पूर्ण कराया जाए। ऐसे ठेकेदार जो अनावश्यक रूप से कार्य में विलंब कर रहे हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अवैध अतिक्रमण पर कड़ा रूख
बैठक में नगर में अवैध अतिक्रमण पर कलेक्टर श्री सूर्यवंशी ने नगर पालिका, राजस्व और पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि नगर की यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए 114 वैध गुमठियों के अतिरिक्त अन्य गुमठियों को तत्काल हटाया जाए। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण से आमजन को परेशानी होती है और यह नगर की सौंदर्यता को भी प्रभावित करता है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति पर विशेष ध्यान
ग्रामीण अंचलों में पेयजल संकट से निपटने के लिए कलेक्टर श्री सूर्यवंशी ने निर्देश दिए कि ग्राम पंचायतों में टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। इसके लिए एक कंट्रोल रूम की के माध्यम से निगरानी रखने के भी निर्देश दिए गए, जिससे समय-समय पर जल आपूर्ति की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके और किसी भी गांव में जल संकट उत्पन्न न हो।

