नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की पहल से अनेक ग्रामीण महिलाओं के जीवन में परिवर्तन आ रहा है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी है ग्राम निवासी अनीता सोलंकी की, जिन्होंने अपनी मेहनत, स्व-सहायता समूह के सहयोग और शासन की योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है।
स्व-सहायता समूह से जुड़ने से पूर्व अनीता सोलंकी की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। उनके परिवार की मासिक आय केवल 2000–3000 रुपये थी, और उनके पति मजदूरी पर निर्भर थे। घरेलू खर्च चलाना कठिन था और अनीता दीदी परिवार की निर्णय प्रक्रिया में भी शामिल नहीं हो पाती थीं।
वर्ष 2018 में आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद अनीता दीदी ने समूह की बैठकों के माध्यम से शासकीय योजनाओं की जानकारी प्राप्त की और आत्मविश्वास से भरपूर होकर अपनी आजीविका सुदृढ़ करने का संकल्प लिया। उन्होंने बैंक से 30,000 रुपये का ऋण लेकर सिलाई की दुकान शुरू की। समय के साथ आय में वृद्धि हुई और दीदी ने 60,000 रुपये का पुनः ऋण लेकर सिलाई, पीको, इंटरलॉक, माला निर्माण एवं साबुन निर्माण जैसे कार्य प्रारंभ किए।
इसके अतिरिक्त, दीदी को बैंक ऑफ इंडिया की शाखा से यूनिफॉर्म सिलाई और गिफ्ट पर्स निर्माण के ऑर्डर भी मिलने लगे। आज अनीता दीदी की मासिक आय 12,000 से 15,000 रुपये हो गई है।
स्वयं की प्रगति के साथ ही दीदी ने गांव में अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया। उन्होंने नए स्व-सहायता समूहों के गठन में सहयोग दिया, बैठकों में भागीदारी को बढ़ावा दिया और इसी के चलते उन्हें ग्राम संगठन का अध्यक्ष चुना गया। वर्तमान में वह संकुल स्तरीय संगठन (CLF) की अध्यक्ष हैं और सभी परिवारों की मासिक आय 10,000 रुपये से अधिक करने हेतु सक्रिय प्रयास कर रही हैं।
आज अनीता सोलंकी ना केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, बल्कि उन्होंने अपने बेटे अजीत कुमार सोलंकी को आजीविका मिशन के तहत रोजगार मेले से SIS सिक्युरिटी गार्ड कंपनी में नौकरी भी दिलवाई है, जिससे वह 20,000 रुपये प्रतिमाह की आय अर्जित कर रहा है।
अनीता दीदी कहती हैं – “मेरी पहचान आज समूह और आजीविका मिशन की वजह से है। मैं जो कुछ भी हूं, उसका श्रेय इन्हीं प्रयासों को जाता है।” वे आज एक प्रेरणास्त्रोत महिला के रूप में अपने गाँव में पहचानी जाती हैं और अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

