नर्मदापुरम। पीएमएफएमई योजना जैसे नवाचारात्मक कार्यक्रम ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाते हैं। यह योजना स्थानीय स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को तकनीकी, वित्तीय एवं विपणन सहायता प्रदान करती है, जिससे उद्यमी न केवल अपने व्यवसाय को स्थिरता प्रदान कर पाते हैं बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित करते हैं।
चैन सिंह पटेल की कहानी उन सभी युवाओं और उद्यमियों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।
ग्राम खापरखेड़ा, तहसील पिपरिया, जिला नर्मदापुरम के निवासी पटेल ने आइसक्रीम निर्माण और विक्रय के क्षेत्र में वर्षों तक संघर्ष किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। वर्ष 1998 में उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत 1 लाख रुपए का ऋण लेकर छोटे स्तर पर आइसक्रीम यूनिट की शुरुआत की थी। लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा और सीमित संसाधनों के कारण उनका व्यवसाय अपेक्षित ऊंचाईयों तक नहीं पहुंच सका।
परंतु, केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (PMFME) ने श्री पटेल के जीवन में बदलाव की नई कहानी लिखी। उद्यानिकी विभाग के माध्यम से उन्हें इस योजना के अंतर्गत 28 लाख रुपए का ऋण प्राप्त हुआ, जिसमें से 9 से 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी शासन द्वारा दी गई। इस आर्थिक सहायता का उन्होंने अपने आइसक्रीम व्यवसाय को आधुनिक बनाने और विस्तार करने में उपयोग किया।
इस योजना की मदद से न सिर्फ उनका व्यवसाय सशक्त हुआ, बल्कि उन्होंने प्रतिस्पर्धी बाजार में अपनी सशक्त पहचान भी बनाई। आज वे अपने उत्पादों की बिक्री से 20 से 30 लाख रुपए की वार्षिक आय प्राप्त कर रहे हैं। श्री पटेल अब बाजार में अन्य कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं। उल्लेखनीय है कि गत दिवस कलेक्टर सोनिया मीना ने भी उक्त आइसक्रीम फेक्ट्री का भ्रमण कर आइसक्रीम निर्माण की प्रक्रिया का निरीक्षण किया था।
उन्होंने अपने इस सफर के लिए जिला प्रशासन, उद्यानिकी विभाग, एवं कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया, जिन्होंने इस योजना के माध्यम से छोटे एवं मध्यम स्तर के उद्यमियों को सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।

